Friday, 8 November 2019

राष्ट्र शक्ति के आधारभूत तत्व एवं जन सांख्यिक तत्व


* राष्ट्र शक्ति के आधारभूत तत्व:-

                                                                           विदेश नीति निर्धारण करते समय नीति निर्माता को अपने व अन्य राष्ट्रों के साधनों का तुलनात्मक परीक्षण करना होता है परीक्षण के उचित मापदंड के अभाव में इनके प्रभाव का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है यह साधन राष्ट्र शक्ति के आधारभूत तत्व कहलाते हैं राष्ट्र शक्ति के इन तत्वों एवं इनको स्तर एवं स्थित तत्वों के रूप में वर्गीकृत करने के संबंध में लगभग सभी विचारों का सम्मान दृष्टिकोण है भूगोल जनसंख्या प्राकृतिक साधन संजय शक्ति व प्राविधिक की कोई स्तर तत्व माना एवं राष्ट्रीय मनोबल राष्ट्रीय चरित्र एवं नेतृत्व को अस्तित्व कहा जाता है अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इनका निम्न वर्गीकरण अधिक उपयुक्त है भौगोलिक सैनिक एवं प्राविधिक की की सांस्कृतिक और राजनीति | 

( 1 ) भौगोलिक तत्व:-

                                                        विचारकों ने भूगोल को राष्ट्र शक्ति का एक स्थाई आधार माना है भौगोलिक दृष्टि से एक राज्य के क्षेत्र स्थलाकृति अवस्थिति एवं जलवायु का विवेचन आवश्यक है | आकार को केवल मात्र राष्ट्र शक्ति नहीं माना जाता किंतु राष्ट्र का यह लक्षण उस एक शक्ति के रूप में विकसित करने का एक ठोस आधार अवश्य है  प्रचुर प्रकृति साधन एवं जलवायु की विभिन्नता प्रदत्त करने के अतिरिक्त विशाल आकार आक्रमण के समय सुरक्षा एवं महत्वपूर्ण उद्योगो की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि उनका निर्माण पृथक पृथक  सुरक्षित स्थानों पर हो विशाल आकार वाले राज्यों में उद्योगों के निर्माण के संबंध में इस नीति को अपनाया जा सकता है विशाल आकार के कारण रूस नेपोलियन एवं द्वितीय महा युद्ध के समय जर्मनी के आक्रमण का दृढ़ता से मुकाबला कर सका | 

                 ( 1 ) स्थलाकृति :-

                                                                      राष्ट्र शक्ति के निर्माण में स्थलाकृति की भी एक महती भूमिका होती है राष्ट्रीय एकीकरण आंतरिक परिवहन एवं सीमा की सुरक्षा हेतु क्षेत्र की निरंतरता वे प्राकृतिक सीमा अधिक सहायक होती है  क्षेत्र का बिखराव राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधक होता है पाकिस्तान से बांग्लादेश का स्वतंत्र होना छत्रिय विकराल की निर्बलता को पुष्ट करता है पर्वत श्रंखलाओ से निर्मित प्राकृतिक सीमा राष्ट्रीय सुरक्षा में तो सहायक होती है किंतु अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अवरोध बनती है इसला करती का अधिक कटा कटा होना प्राकृतिक एवं कृत्रिम  बंदरगाहों के निर्माण की दृष्टि से उपयोगी होता है | 

                      ( 2 ) अवस्थिति :-

                                                                             अवस्थिति की दृष्टि से राष्ट्र शक्ति का विश्लेषण निम्न तीन आधारों पर किया जा सकता है | ( 1 ) खगोलीय स्थिति |  ( 2 ) समुंदर से सामीप्यता  | ( 3 ) पड़ोसी स्थिति | राज्यों की खगोलीय स्थिति का वहां की जलवायु अर्थव्यवस्था एवं नागरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है सम शीतोष्ण कटिबंध में स्थित राज्य उष्ण एवं शीत कटिबंध में स्थित राज्यों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं | ब्रिटिश की परंपरागत शक्ति संतुलन की नीति इस स्थिति की ही देन है पड़ोसी स्थिति भी राष्ट्र शक्ति को प्रभावित करती है | 

                               ( 3 ) जलवायु:-

                                                                                  जलवायु राज्य की अवस्थिति पर निर्भर होती है मानवीय क्षमा एवं राष्ट्रीय उत्पादन जलवायु द्वारा प्रभावित होते हैं अत्यधिक से जलवायु वाले क्षेत्र जैसे ग्रीनलैंड,  आईसलैंड, कनाडा,  एवं रूस, के उत्तरी क्षेत्र स्थायी मानवीय निवास के लिए अनुपयुक्त हैं इन क्षेत्रों में विद्यमान खनिज पदार्थों का दान भी इसलिए संभव नहीं हो सका है अत्यधिक उष्ण व शुष्क परदेस भी राष्ट्र के लिए बाहर होते हैं मानवीय गतिविधियों की दृष्टि से समशीतोष्ण जलवायु सर्वोत्तम होती है ऐसी जलवायु वाले राज्य अतीत से मानवीय गतिविधि के केंद्र बिंदु रहे हैं निश्चित जलवायु पर तापक्रम  एवं तापक्रम पर धरती की उर्वरता निर्भर होती है जनसंख्या का घनत्व एवं मानवीय व्यवहार भी जलवायु निश्चित करती है | 

                                           ( 4 ) राजनीति:-

                                                                                                         कतिपय राजनीतिज्ञों ने राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में भूगोल के महत्व को अविश्वसनीय रूप से प्रस्तुत किया है हिमालय पर्वत के मध्य स्थित क्षेत्र को विश्व राजनीति का केंद्रीय स्थल मानकर यह मत प्रतिपादित किया था कि पूर्वी यूरोप का शासक केंद्रीय स्थल पर केंद्रीय स्थल का शासक विश्वदीप विश्वदीप का शासक संपूर्ण विश्व पर शासन करेगा उसका उपयोग निष्कर्ष इस मान्यता पर आधारित था कि विश्व राजनीति में स्तर शक्ति की जल शक्ति की तुलना में महती भूमिका होती है | 

* जन सांख्यिक तत्व :-

                                                  वैज्ञानिक युग में मानव श्रम की घटती  हुई उपयोगिता के पश्चात भी जन शक्ति राष्ट्र शक्ति का एक महत्वपूर्ण आधारित जनशक्ति के महत्व का मूल्यांकन जनसंख्या आयु वर्ग के आधार पर जनसंख्या के स्वरूप नागरिकों के शैक्षणिक स्तर एवं उनकी उत्पादन क्षमता के उचित विश्लेषण द्वारा किया जा सकता है | 

( 1 ) जनसंख्या:-

                                          जनसंख्या के वितरण की दृष्टि से राष्ट्रों में समानता दृष्टिगत नहीं होती जनसंख्या की दृष्टि से चीन भारत रूस संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे राज्य भाग्यशाली है वैसे विश्व में कम जनसंख्या वाले राज्यों की संख्या अधिक है अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में उत्पादन उत्पादित वस्तुओं के उपभोग मशीन संचालन सुगमता से संपन्न हो जाते हैं स्थानीय बाजार की उपलब्धि के फल स्वरुप लास्ट में नव स्थापित उद्योगों को अधिक जनसंख्या एक ठोस आधार प्रदान करती है युद्ध काल में पर्याप्त संख्या में सैनिकों की भर्ती अधिक जनसंख्या वाले राज्य में सुगमता से संभव है पर्याप्त जनसंख्या विजेता राष्ट्र को विजय से अर्जित सभी लाभों का उपभोग करने के लिए भी उपयोगी होती है जर्मनी की कम जनसंख्या के कारण हिटलर पराजित राज्यों के प्रशासन हेतु योग व्यक्तियों का चयन नहीं कर पाया | 

( 2 ) जनसंख्या की संरचना:-

                                                                  आयु वर्ग की दृष्टि से जनसंख्या की संरचना का भी राष्ट्र शक्ति पर प्रभाव पड़ता है वृदो या अल्प वयस्कों की जनसंख्या में अधिकता राष्ट्र की अर्थव्यवस्था व्यक्ति के लिए हितकर नहीं होती 15 से 35 वर्ष की आयु के युवा वर्ग का जनसंख्या में बहुल्य राष्ट्र की अर्थव्यवस्था एवं सैनिक शक्ति में वृद्धि में सहायक होता है | 

( 3 )  वृद्धि दर :-

                                       जनसंख्या में वृद्धि या कमी की दर भी राष्ट्रीय शक्ति के संदर्भ में एक विचारणीय विषय है विकासशील राज्यों में विकसित राज्यों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक है जनसंख्या वृद्धि की दर के आधार पर 2012 मैं भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या से अधिक हो जावेगी जनसंख्या में वृद्धि की प्रवृत्ति राष्ट्रीय शक्ति की बढ़ती हुई क्षमता को इंगित करती है एवं इसमें कमी की प्रवृत्ति इसके हास  का प्रथम चिन्ह मानी जाती है | 

( 4 ) घनत्व,  नगरीकरण एवं व्यवसायिक संरचना :-

                                                                                                                        एक राष्ट्र में औद्योगिकरण जनसंख्या के घनत्व नगरीकरण एवं व्यवसाय संरचना पर निर्भर होता है एक वर्ग किलोमीटर में ब्रिटेन में जनसंख्या का घनत्व 224 है यह वहां के औद्योगिकरण में सहायक  हुआ है | 

* आर्थिक तत्व:-

                                   एक राष्ट्र की आर्थिक शक्ति उपलब्ध प्राकृतिक साधन कच्चा माल एवं औद्योगिक क्षमता पर आधारित होती है प्रकृति से प्राप्त मानो उपयोगी उपहार जैसे वन जलप्रपात भूमि और उर्वरता  धूप आदि प्राकृतिक साधन की श्रेणी में आते हैं उपयोग के द्वारा इन साधनों को संपदा में परिवर्तित किया जाता है प्राकृतिक साधन की प्रचुरता राष्ट्र पर वाहय आक्रमण को प्रोत्साहित करती है | 

  ( 1 ) खाद्यान्न:-

                                        राष्ट्र शक्ति खाद्यान्न की स्थिति पर काफी निर्भर होती है इसमें आत्मनिर्भरता एवं पर निर्भरता क्रमश : प्लास्टिक की सफलता एवं निर्मलता की दयोतक होती है विश्वयुद्ध के समय खाद्यान्नों की आपूर्ति के बाद दाने इस राष्ट्र के जीवन पर गंभीर संकट उपस्थित कर दिया था | 

( 2 ) खनिज पदार्थ:-

                                                राष्ट्रीय शक्ति के लिए खनिज पदार्थों कीमतों में वृद्धि युद्ध प्राविधिकी की देन है प्रथम महायुद्ध के पूर्व तक कोयला वेखने लोहे का महत्व अधिक था इनकी पर छोड़ता ने ब्रिटेन  को विश्व शक्ति बना दिया था सौर ऊर्जा के शक्ति के एक स्त्रोत के रूप में विकसित होने पर समशीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंध के राष्ट्र विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में आ जाएंगे भारत भी ऐसे भाग्यशाली राष्ट्रों में से एक होगा एवं इनका समुचित लाभ इन राष्ट्रों ने प्राप्त किया है खनिजों की खोज एवं उनके दोहन में आई गति भारत की राष्ट्र शक्ति में अभिवृद्धि का एक शुभ संकेत है | 

                                                      

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