* संत दादू दयाल का जीवन परिचय:-
संत दादू दयाल का जन्म गुजरात राज्य के अमदाबाद स्थान पर फागुन सुदी अष्टमी वि. संवत 1601 ( 1544 ) ई. में हुआ था इनके बचपन का नाम महाबली था इन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष राजस्थान में व्यतीत किए इन्होंने मध्यकालीन राजस्थान में सामाजिक बुराइयों को दूर करने में प्रमुख योगदान दिया |
* अकबर:-
मुगल सम्राट आध्यात्मिक चिंतन के लिए दादू जी को फतेहपुर सीकरी बुलाया|
* नारायणा/नरैना ( जयपुर ) :-
पंचतीर्थ में शामिल इस स्थान को दादू पंथ की प्रमुख गद्दी माना जाता है | दादू दयाल ने अपने जीवन के अंतिम दिन यहां व्यतीत किए यहीं पर इनकी मृत्यु 1603 ई मैं हुई दादू जी का पार्थिव शरीर भैराना की पहाड़ियों की एक खोह में रख दिया गया | दादू जी के समाधि स्थल को दादू खोल कहते हैं |
* अखल स्तुति प्रकाश:-
इस ग्रंथ से दादू संप्रदाय के नियमों की जानकारी मिलती है दादू के विचारों को उनके शिष्यों ने दादूदयाल री वाणी तथा दादूदयाल रा दुहा ग्रंथों में संकलित किया |
* दादू दयाल की स्थानीय भाषा:-
ढूंढाडी |
*52 स्तंभ:-
दादू की शिष्य परंपरा में 152 शिष्य माने जाते हैं इनमें से 52 प्रधान शिष्य थे जो 52 स्तंभ कहलाते हैं |
* दादू पंथ के सत्संग स्थल:-
अखल दरीबा |
* बह्म /परब्रह्म ( दादू ) संप्रदाय:-
1574ई मैं दादू दयाल द्वारा सांभर में इस संप्रदाय की स्थापना की गई |
* दादू पंथ के 5 संप्रदाय शाखाएं:-
( 1 ) खालसा:- नारायणा की शिष्य परंपरा को मानने वाले इसके प्रवर्तक गरीबदास थे |
( 2 ) विरक़्त |
( 3 ) उत्तरादे / स्थानधारी |
( 4 ) खाकी |
( 5 ) नागा:- सुंदर दास जी इस शाखा के प्रमुख संत हैं |
* दादू जी के प्रमुख शिष्य:-
रज्जबजी - इनका जन्म में सांगानेर में हुआ पिंगल भाषा में निम्न ग्रंथों की रचना की | ( 1 ) रज्जब वाणी ( 2 ) सर्वगी |
गरीबदास- दादू दयाल के ज्येष्ठ पुत्र, दादू जी के बाद उनकी गद्दी पर बैठे |
ग्रंथ :- ( 1 ) साखी ( 2 ) अनभे प्रबोध |
* पंचतीर्थ :-
दादू पंथ के पांच विशिष्ट स्थानों को कहा जाता है यह स्थान है | _ कल्याणपुरा ( करड़ाला ), सांभर, आमेर, नरैना |
दादूपंथी साधु सतराम कहकर एक दूसरे का अभिवादन करते हैं |
यह परमात्मा को राम के नाम से जानते हैं और दादूराम_ दादूराम जपते हैं |
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