* प्रतिनिधित्व का अर्थ व प्रकार:-
ए एच् बिर्च ( a. H. Birch ) ने अपनी पुस्तक प्रतिनिधित्व ( representation ) मैं राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अर्थ इस प्रकार व्यक्त किया है | उसके अनुसार राजनीतिक प्रतिनिधि एक ऐसा व्यक्ति होता है जो परंपरागत या कानूनन एक राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिनिधि का स्तर या भूमिका निभाता है |
``A political representative is a person who by custom of law has the status or a representative within a political system ´´
दूसरे शब्दों में बिर्च अपने राजनीतिक प्रतिनिधि ऐसे व्यक्ति को कहा है जो किसी समाज विशेष ने प्रशासन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है |
``A political respresentative is a person who influences the governing process of a give community ´´
* राजनीतिक प्रतिनिधित्व समस्याएं:-
( 1 ) राजनीतिक प्रतिनिधित्व का चुनाव
( 2 ) राजनीति प्रतिनिधियों के कार्य |
( 3 ) राजनीतिक प्रतिनिधित्व का उन लोगों से संबंध जिनका व प्रतिनिधित्व करता है |
* राजनीतिक प्रतिनिधि का चुनाव:-
राजनीतिक प्रतिनिधि का चुनाव यह प्रश्न उपस्थिति करता है | कि इसका चुनाव किस आधार पर और किस प्रकार किया जाए | यह चुनाव आधार वास्तव में मताधिकार का आधार है अर्थात यह मताधिकार किन-किन लोगों को प्राप्त हो | मोन्टेस्क्यू का विचार था कि प्रतिनिधियों के चुनने के लिए मत देने का अधिकार राज्य के उन निवासियों को छोड़कर जिनकी दशा इतनी हीन हो कि उनकी अपनी कोई इच्छा ही नहीं हो सबको प्राप्त करना चाहिए अत : सबको प्राप्त नहीं होना चाहिए उनके अनुसार केवल विवेकशील व्यक्तियों को ही प्रतिनिधियों के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार मिलना चाहिए आजकल प्रथम विचार यह लोकतांत्रिक प्रणालियों में प्रचलित है अब सार्वजनिक वयस्क मताधिकार को अपनाया जाता है क्योंकि यह लोकतांत्रिक भावना के अनुकूल माना जाता है बालिग होने की उम्र भी आजकल अधिकांश राज्यों में 18 वर्ष बनती जा रही है और जहां यह 18 वर्ष नहीं है वहां कानून की दृष्टि से यह 18 वर्ष व्यक्ति की मांग जोर पकड़ती जाती है ब्रिटेन रूस तथा अमेरिका जैसे राज्यों में यह 18 वर्ष कर दी गई है |
* राजनीतिक प्रतिनिधित्व की योग्यताएं:-
( 1 ) संपत्ति संबंधित योग्यताएं
( 2 ) शिक्षा संबंधी योग्यताएं
( 3 ) धर्म संबंधी योग्यताएं
( 4 ) नस्ल संबंधी योग्यता
( 5 ) लिंग संबंधी योग्यताएं
( 6 ) स्थान संबंधी योग्यताएं|
* निर्वाचन प्रणालियां:-
( 1 ) बहुल या भारित या गुस्तापूर्ण मतदान प्रणाली ( plural or weighted voting system ) :-
एक व्यक्ति एक मत की आधारभूत मान्यता यह कि सभी एक समान है और शायद सभी इस मत का समान योग्यता से प्रयोग का संकेत है लेकिन अनेक राज्यों में शासन की सफलता और उत्तमता के लिए एक आवश्यक माना गया है कि विशेष योग्यता के आधार पर कुछ व्यक्तियों को 1 से अधिक मत देने का अधिकार भी दिया जावे एक व्यक्ति को अन्य व्यक्ति के सम्मान मत के स्थान पर अधिक मत देने का अधिकार बहुल या भारित मतदान प्रणाली कहा जाता है इस प्रणाली के समर्थकों का यह मत है कि वयस्कता की दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति को एक मत देने के अधिकार के अतिरिक्त उन लोगों को एक से अधिक मत देने का अधिकार मिलना चाहिए जो शिक्षा धन अथवा अन्य किसी दृष्टि से विशेष योग्यता रखते हैं बहु मतदान व्यवस्था की पृष्ठभूमि में यह धारणा विद्यमान है कि हर एक व्यक्ति को मत देकर सभी व्यक्तियों को समान मानना तर्क सम्मत नहीं कहा जा सकता है क्योंकि अनेकों दृष्टि से व्यक्ति के समान है और योग्यता की दृष्टि से भी यह समानता और भी अधिक दिखाई देती है इसके अलावा एक व्यक्ति एक मत प्रणाली में सिरों गिनकर निर्णय होता है | इस सवा भाभी के समानता को ध्यान में रखकर सम्मानता को प्रकृति का नियम मानकर ही कुछ लोग बहुल मतदान का पक्ष लेते हैं यह दो प्रकार से व्यवहारिक बनाया जा सकता है |
( 1 ) बहुल मतदान प्रणाली:-
बहुल मतदान प्रणाली में एक ही व्यक्ति उन सब निर्वाचन क्षेत्र में पृथक - पृथक मत देने का अधिकार होता है जिसमें उसकी संपत्ति होती है जैसे एक ही व्यक्ति की संपत्ति दस निर्वाचन क्षेत्रों में है तो ऐसा व्यक्ति इन दस निर्वाचन क्षेत्रों में मत देने का अधिकारी होगा इनमें एक व्यक्ति ने निर्धारित संपत्ति के स्वामी के रूप में निर्धारित कर देने वाले के रूप में अथवा निश्चित स्तर की शिक्षा के अधिकार के रूप में पृथक - पृथक मत देने का अधिकार हो जाता है |
( 2 ) भारित मतदान प्रणाली :-
भारित मतदान प्रणाली में उन व्यक्तियों को जो अपने शिक्षा आयु अथवा संपत्ति के कारण आधे योग्यता रखते हैं उसी दृष्टि से कम योग्यता वाले व्यक्ति की अपेक्षा अधिक मत देने का अधिकार प्राप्त होता है भारित मतदान प्रणाली लोकतंत्र की भावना ही के प्रतिकूल नहीं पड़ती वरण यह लोकतंत्र का आधार ही समाज कर देती है क्योंकि लोकतंत्र में राजनीति दृष्टि से सभी व्यक्ति सम्मान माने जाते हैं |
( 2 ) वयस्क सार्वजनिक मताधिकार ( universal aduit suffrage ) :-
प्रजातंत्र में प्रजा शासन का अवलंब है प्रजा ही शासन की संपूर्ण शक्तियों का आधार है अतः सभी नागरिकों को समान रूप से प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए अर्थात मत देने का अधिकार सभी को समान रूप से प्राप्त होना चाहिए लेकिन बच्चों, दुराचारी, अन्य अपराधियों की मताधिकार देने का कोई लाभ नहीं | कम शिक्षित और बच्चों को मताधिकार नहीं दिया जाना चाहिए बाकी सभी वयस्कों को मताधिकार देना ही वयस्क मताधिकार कहां जाता है इसमें जाति, धर्म, में लिंग, या स्थान, के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता |
( 3 ) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निर्वाचन ( direct and indirect election ) :-
प्रत्यक्ष निर्वाचन उसे कहते हैं जो मतदाता अपने प्रतिनिधियों को स्वयं निर्वाचित करते हैं वे प्रतिनिधियों के चुनाव में स्वयं मत देते हैं जैसे भारत के लोकसभा के सदस्यों का चुनाव भारत के नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष रुप से किया जाता है यह प्रत्यक्ष प्रणाली में मतदाता प्रतिनिधियों के चुनाव में स्वयं भाग नहीं लेते बल्कि कुछ ऐसे लोगों को चुनते हैं जो उसके बदले में प्रतिनिधियों का निर्वाचन करते हैं अर्थात प्रतिनिधियों का निर्वाचन मतदाता द्वारा एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है स्वयं मतदाता द्वारा नहीं इस प्रकार अप्रत्यक्ष निर्वाचन में एक बार मतदाता निर्वाचक मंडल का निर्वाचन करते हैं और दूसरी बार निर्वाचक मंडल का सदस्य प्रतिनिधियों का निर्वाचन करते हैं इन दोनों में सर्वाधिक प्रचलन प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली का है यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुकूल है लोकतंत्र में लोकसभा जनता में निहित होती है प्रत्यक्ष प्रणाली के अंतर्गत यह जनता को इस शक्ति को अभिव्यक्त करने का वास्तविक अवसर मिलता है यह प्रणाली प्रतिनिधियों और निर्वाचक को में घनिष्ठ संबंध पैदा करती है यह सब अप्रत्यक्ष प्रणाली में नहीं होता है |
( 4 ) गुप्त एवं प्रकट मतदान प्रणाली ( secret and open voting system ) :-
मतदान अधिकांश के गुण रूप से या प्रकट रूप से किया जाता है गुप्त मतदान प्रणाली के अंतर्गत मतदाता गुप्त रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग करता है इस प्रणाली में प्रत्येक मतदाता को मत पत्र दिया जाता है मतदाता जिस मत देना चाहता है उसे उम्मीदवार की मतदान पेटी में वे मतदान पत्र डाल देता है या गुप्त रूप से वे उसी उम्मीदवार के नाम के आगे क्रॉस का निशान लगा देता है जिसे भी मत देना चाहता है और फिर अपने मतपत्र को मतदान पेटी में डाल देता है पहले मैं बेटियां अलग अलग होती है जबकि दूसरी में एक ही बेटी होती जिसमें सभी मतपत्र डाले जाते हैं |
* राजनीतिक प्रतिनिधि के कार्य:-
राजनैतिक प्रतिनिधियों के दो कार्य माने जाते हैं|
( 1 ) justifcation of existing institution |
( 2 ) promotion of political reforms |
No comments:
Post a Comment